संजय मल्होत्रा कौन हैं–
भारत सरकार ने सोमवार को वित्त मंत्रालय के राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का अगला गवर्नर नियुक्त किया है। वह मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास का स्थान लेंगे, जिनका दूसरा कार्यकाल मंगलवार, 10 दिसंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है। संजय मल्होत्रा आरबीआई के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालेंगे। यहां हम आपको उनके कार्यकाल और उपलब्धियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
संजय मल्होत्रा का परिचय–
संजय मल्होत्रा 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की है और अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री हासिल की है।
आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के बारे में 10 अहम बातें:–
- भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी
संजय मल्होत्रा 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। - शैक्षणिक पृष्ठभूमि
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री और अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। - वर्तमान पद
संजय मल्होत्रा अभी तक वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत थे। - आरबीआई के 26वें गवर्नर
वह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 26वें गवर्नर होंगे। - शक्तिकांत दास का स्थान लेंगे
संजय मल्होत्रा मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रहा है। - वित्तीय विशेषज्ञता
वित्तीय नीति, पब्लिक पॉलिसी और प्रशासन में संजय मल्होत्रा को गहरी समझ और अनुभव है। - राजस्थान में प्रभावशाली कार्यकाल
अपने प्रशासनिक करियर के दौरान उन्होंने राजस्थान में ऊर्जा, वित्त और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। - ऊर्जा क्षेत्र में नेतृत्व
राजस्थान में ऊर्जा विभाग के प्रमुख रहते हुए उन्होंने कई सुधार लागू किए, जिनसे राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई। - डिजिटल इनोवेशन में योगदान
उन्होंने ई-गवर्नेंस और डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं में नेतृत्व किया है। - आरबीआई के उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता
संजय मल्होत्रा अपने प्रशासनिक अनुभव और प्रबंधन कौशल के आधार पर आरबीआई के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
यह अनुभव और विशेषज्ञता उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में एक मजबूत नेतृत्वकर्ता बनाती है।
संजय मल्होत्रा का दृष्टिकोण क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी के प्रति कैसा रहेगा, यह उनके कार्यकाल के दौरान उनकी नीतियों और बयानबाजी से स्पष्ट होगा। हालांकि, उनके अब तक के अनुभव और पृष्ठभूमि को देखते हुए कुछ उम्मीदें और अनुमान लगाए जा सकते हैं:
1. डिजिटल और टेक्नोलॉजी फ्रेंडली दृष्टिकोण:
संजय मल्होत्रा का आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड और ई-गवर्नेंस में योगदान यह दर्शाता है कि वह डिजिटल तकनीक को समझते हैं और इसे बढ़ावा देने में रुचि रखते हैं। इससे उम्मीद की जा सकती है कि वह डिजिटल फाइनेंस और फिनटेक इनोवेशन को बढ़ावा देंगे।
2. क्रिप्टोकरेंसी पर संभावित रुख:
भारतीय सरकार का वर्तमान दृष्टिकोण क्रिप्टोकरेंसी के प्रति सतर्क है। यह संभावना है कि संजय मल्होत्रा क्रिप्टोकरेंसी को सख्त रेगुलेशन के तहत लाने के पक्षधर हो सकते हैं, ताकि इसे संभावित जोखिमों जैसे मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी से बचाया जा सके।
3. डिजिटल रुपये (CBDC) को बढ़ावा:
संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) यानी डिजिटल रुपया को और तेज़ी से अपनाने और इसके लिए उपयोगी नीतियां बनाने पर जोर दिया जा सकता है। उनका प्रशासनिक अनुभव इस दिशा में सहायक साबित हो सकता है।
4. फिनटेक और डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा:
उनके अनुभव को देखते हुए, यह उम्मीद की जा सकती है कि वह डिजिटल पेमेंट सिस्टम और फिनटेक सेक्टर को प्रोत्साहित करेंगे, जिससे डिजिटल इंडिया मिशन को बल मिलेगा।
5. संतुलित दृष्टिकोण:
क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में, वह संतुलित रुख अपनाते हुए नवाचार को प्रोत्साहित कर सकते हैं, लेकिन साथ ही इसके नकारात्मक पहलुओं जैसे उपभोक्ता सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, और वित्तीय स्थिरता पर कड़ी निगरानी रखेंगे।
डिजिटल दुनिया में उम्मीदें:
- डिजिटल करेंसी का तेजी से विस्तार:
डिजिटल रुपया (CBDC) को और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल और प्रभावी बनाया जा सकता है। - रेगुलेटेड क्रिप्टो फ्रेमवर्क:
यदि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्पष्ट नीतियां बनती हैं, तो यह सेक्टर अधिक संरचित और सुरक्षित हो सकता है। - डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार:
बैंकिंग और फिनटेक सेक्टर में नई तकनीकों का समावेश बढ़ सकता है। - ग्लोबल डिजिटल इकनॉमी में भारत की भागीदारी:
भारत डिजिटल फाइनेंस और CBDC में वैश्विक स्तर पर नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है।